
दिल की बीमारी के शुरुआती लक्षण
अपने दिल की सेहत को समय रहते पहचानें
दिल की बीमारी क्या है?
- दिल की बीमारी उन स्थितियों का समूह है जो दिल और उसकी रक्त प्रवाह प्रणाली को प्रभावित करती हैं, जैसे कोरोनरी आर्टरी डिज़ीज़, हार्ट फेल्योर, अतालता (बीट का अनियमित होना) आदि।
साँस फूलना (Shortness of Breath)
- दिल के वॉल्व या पंपिंग क्षमता में समस्या के कारण फेफड़ों में तरल भर सकता है, जिससे हल्का काम करते हुए भी साँस फूलने लगती है।
बेहद थकान (Fatigue)
- सामान्य थकान नहीं, बल्कि लगातार बनी रहने वाली कमजोरी, जैसे फ्लू में होती है और ठीक नहीं होती।
पाँव या पैरों में सूजन (Feet or Leg Swelling)
- हार्ट फेल्योर में दिल खून सही ढंग से पंप नहीं कर पाता, जिससे पैरों में सूजन आ सकती है।
चक्कर आना (Dizziness)
- धड़कन की गड़बड़ी या धमनियों में रुकावट से खून का प्रवाह घटता है और चक्कर या हल्कापन महसूस हो सकता है।
चलते समय दर्द (Pain While Walking)
- पैरों की धमनियों में फैटी प्लाक जमा होने से चलने पर मांसपेशियों में दर्द और रुकने पर आराम महसूस हो सकता है।
उदासी या अवसाद (Depressive Feelings)
- मानसिक स्वास्थ्य और दिल की सेहत का गहरा रिश्ता है। लगातार अवसाद दिल की समस्या के खतरे को बढ़ा सकता है।
त्वचा का रंग बदलना (Skin Discoloration)
- पैरों की उंगलियों पर नीला या बैंगनी रंग, हथेलियों या तलवों पर लाल-भूरे धब्बे दिखाई देना रक्त प्रवाह की समस्या का संकेत हो सकता है।
बार-बार माइग्रेन होना (Migraines)
- खासकर “ऑरा” के साथ होने वाले माइग्रेन दिल से जुड़ी समस्याओं का शुरुआती इशारा हो सकते हैं।
दिल की धड़कन सुनाई देना (Audible Heartbeat)
- सोते समय दिल की तेज धड़कन सुनाई देना (Pulsatile Tinnitus) भी दिल की बीमारी का संकेत हो सकता है।
नाखूनों में बदलाव (Nail Changes)
- उँगलियों का सूजना और नाखूनों का नीचे की ओर झुकना या नाखूनों के नीचे लाल-नीली रेखाएँ बनना दिल की समस्या दिखा सकता है।
घबराहट जैसी स्थिति (Panic Attack-Like Symptoms)
- पसीना आना, मिचली, छाती में भारीपन और साँस लेने में तकलीफ—ये दिल के दौरे का शुरुआती संकेत हो सकते हैं।
कब डॉक्टर से संपर्क करें
- ऊपर दिए गए कोई भी लक्षण दिखें तो तुरंत डॉक्टर से सलाह लें।
- अगर छाती में तेज दर्द, लगातार साँस फूलना, या बेहोशी का अंदेशा हो, तो तुरंत इमरजेंसी में जाएँ।
💓 अपनी दिल की सेहत को हल्के में न लें। शुरुआती लक्षणों को पहचानें और समय रहते सही इलाज शुरू करें।