
अधिक वजन और मोटापा
अधिक वजन और मोटापा दो अलग स्थितियाँ हैं, जिनका स्वास्थ्य पर असर भी अलग-अलग होता है। जानिए इनके बीच का अंतर, खतरे और बचाव के आसान उपाय।
Contents
🔍 अधिक वजन और मोटापा: क्या फर्क है?
अक्सर हम “अधिक वजन” और “मोटापा” शब्दों को एक ही समझ लेते हैं, लेकिन ये दोनों स्वास्थ्य स्थितियाँ अलग हैं। अधिक वजन का मतलब होता है कि आपके शरीर में आपके लिए तय स्वस्थ सीमा से ज़्यादा वजन है, लेकिन यह उतना गंभीर नहीं होता। जबकि मोटापा एक दीर्घकालिक (chronic) स्थिति है, जिसमें शरीर में चर्बी का स्तर बहुत अधिक होता है और यह कई बीमारियों को जन्म दे सकता है।
इन दोनों स्थितियों को समझना और सही समय पर कदम उठाना बहुत जरूरी है।
🧮 कैसे पता करें: अधिक वजन है या मोटापा?
1. बॉडी मास इंडेक्स (BMI)
BMI वजन और लंबाई के आधार पर गणना किया जाता है।
- BMI 25-29.9 के बीच हो तो व्यक्ति अधिक वजन की श्रेणी में आता है।
- BMI 30 या उससे अधिक होने पर उसे मोटापा कहा जाता है।
BMI की गणना इस तरह करें:
👉 (वजन (पाउंड) ÷ (लंबाई (इंच)²)) × 703
उदाहरण के लिए:
अगर आपका वजन 185 पाउंड और लंबाई 72 इंच है:
72 × 72 = 5,184
185 ÷ 5,184 = 0.0356
0.0356 × 703 = 25 (BMI)
2. बॉडी फैट प्रतिशत (BFP)
यह दर्शाता है कि शरीर के कुल वजन में से कितनी प्रतिशत चर्बी है।
- महिलाओं के लिए 21–32% और
- पुरुषों के लिए 8–20% सामान्य सीमा मानी जाती है।
यह BMI की तुलना में स्वास्थ्य का बेहतर आंकलन करता है क्योंकि यह मांसपेशियों और चर्बी के बीच अंतर दिखाता है।
3. कमर का घेरा (Waist Circumference)
- महिलाओं के लिए 35 इंच से ज़्यादा
- पुरुषों के लिए 40 इंच से ज़्यादा कमर होना, दिल की बीमारी, डायबिटीज़ और मेटाबोलिक सिंड्रोम जैसे जोखिमों को बढ़ाता है।
4. कमर-हिप अनुपात (WHR)
👉 कमर का माप ÷ कूल्हों का माप
- महिलाओं में 0.85 से अधिक
- पुरुषों में 0.90 से अधिक होने पर पेट की चर्बी ज़्यादा मानी जाती है।
5. स्किनफोल्ड थिकनेस
इसमें शरीर के विभिन्न हिस्सों में त्वचा के नीचे की चर्बी को कैलीपर उपकरण की मदद से मापा जाता है। यह पद्धति शरीर में समय के साथ चर्बी के बदलाव को ट्रैक करने में मदद करती है।
⚠️ स्वास्थ्य पर असर: जानिए मुख्य जोखिम
अमेरिका में हर तीसरा व्यक्ति अधिक वजन और हर दो में से एक व्यक्ति मोटापे से ग्रसित है। इसके कारण ये बीमारियाँ हो सकती हैं:
- डायबिटीज़ टाइप 2: केवल 5-10% वजन कम करके 50% से अधिक जोखिम घटाया जा सकता है।
- हृदय रोग: हाई बीपी, कोलेस्ट्रॉल, हृदय गति असंतुलन आदि की संभावना बढ़ जाती है।
- स्ट्रोक: 78% तक खतरा बढ़ सकता है।
- कैंसर: मोटापे से जुड़े कैंसर के हज़ारों नए मामले हर साल सामने आते हैं।
- बांझपन: IVF में सफलता कम, हार्मोनल असंतुलन और सूजन की समस्या।
- मूड डिसऑर्डर: डिप्रेशन और एंग्जायटी का खतरा बढ़ता है।
- प्रेगनेंसी जटिलताएं: समयपूर्व प्रसव, सिजेरियन, ब्लड क्लॉट्स आदि।
🧭 मोटापे की गंभीरता के स्तर
BMI रेंज | वर्ग | जोखिम स्तर |
---|---|---|
25-29.9 | अधिक वजन | कम |
30-34.9 | मोटापा क्लास 1 | मध्यम |
35-39.9 | मोटापा क्लास 2 | उच्च |
40 या अधिक | मोटापा क्लास 3 (गंभीर) | बहुत उच्च |
👉 सिर्फ 5% वजन घटाने से ही हृदय, लीवर, किडनी और ब्लड शुगर की स्थिति में बड़ा सुधार आ सकता है।
✅ इलाज और समाधान
🍎 1. आहार परिवर्तन
- फलों, सब्जियों, साबुत अनाज, दालें, कम फैट वाले प्रोटीन और हेल्दी फैट को प्राथमिकता दें।
- मेडिटेरेनियन या DASH डाइट जैसी योजनाएँ उपयोगी हो सकती हैं।
🏃♀️ 2. शारीरिक गतिविधि
- हफ्ते में 150 मिनट की मध्यम या 75 मिनट की तीव्र व्यायाम की सिफारिश की जाती है।
- चलना, तैराकी, साइक्लिंग, योग आदि फायदेमंद हैं।
😴 3. नींद सुधारें
- रोजाना 7–8 घंटे की गहरी नींद शरीर के वजन को संतुलित रखने में मदद करती है।
🧠 4. व्यवहार चिकित्सा
- मनोचिकित्सक या काउंसलर से बात करके खाने से जुड़ी भावनात्मक आदतों को समझा जा सकता है।
💊 5. दवाइयाँ
- अगर आहार और व्यायाम से वजन नहीं घट रहा, तो डॉक्टर वजन घटाने वाली दवाएँ सुझा सकते हैं।
🏥 6. सर्जरी और अन्य प्रक्रिया
- गंभीर मोटापे के मामलों में गैस्ट्रिक बायपास या स्लीव गैस्ट्रेक्टॉमी जैसी सर्जरी की सलाह दी जाती है।
❓ अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)
Q1: क्या मोटे लोग भी स्वस्थ हो सकते हैं?
हाँ, अगर उनका BP, शुगर और कोलेस्ट्रॉल सामान्य है तो वे “मेटाबोलिकली हेल्दी ओबेस” माने जाते हैं।
Q2: वजन को लेकर भेदभाव क्या है?
वजन के आधार पर लोगों से भेदभाव करना वेट बायस कहलाता है। यह मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य दोनों को प्रभावित कर सकता है।
🔚 निष्कर्ष
अधिक वजन और मोटापा आज के समय की सामान्य लेकिन गंभीर समस्याएँ हैं। इनके बीच का अंतर समझना और समय पर समाधान ढूंढना ज़रूरी है। संतुलित आहार, नियमित व्यायाम, नींद और मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान रखकर वजन नियंत्रित किया जा सकता है। आवश्यकता पड़ने पर डॉक्टर से सलाह लें और एक व्यवस्थित योजना के साथ आगे बढ़ें।
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