विशेषज्ञों ने बताया कि बेस टैन ना केवल बेअसर है, बल्कि त्वचा कैंसर और समय से पहले बूढ़ा होने का खतरा भी बढ़ाता है। जानिए क्यों और क्या है बेहतर विकल्प।
गर्मी का मौसम और टैनिंग का भ्रम
जैसे-जैसे गर्मी दस्तक देती है, कई लोग सूरज की तेज किरणों से पहले “बेस टैन” लेने की तैयारी करने लगते हैं। यह सोचकर कि हल्की टैनिंग उन्हें आगे चलकर सनबर्न से बचाएगी। लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि यह धारणा न केवल गलत है, बल्कि खतरनाक भी हो सकती है।
टेक्सास की डबल बोर्ड-प्रमाणित त्वचा विशेषज्ञ डॉ. एलिज़ाबेथ बहार हौशमंद ने स्पष्ट किया, “बेस टैन से सनबर्न से बचाव का दावा एक मिथक है।” त्वचा विशेषज्ञों का मानना है कि “बेस टैन” का मतलब है आपकी त्वचा में नुकसान की शुरुआत।
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क्या है बेस टैन?
बेस टैन उस विचार को कहा जाता है जिसमें लोग मानते हैं कि हल्की टैनिंग लेने से भविष्य में तेज धूप से होने वाले सनबर्न से सुरक्षा मिलेगी। इसके लिए वे धूप में बैठते हैं या टैनिंग बेड का सहारा लेते हैं।
लेकिन सच्चाई यह है कि कोई भी टैन, चाहे वह हल्की ही क्यों न हो, त्वचा को नुकसान पहुंचाती है। यह त्वचा की रंगत में बदलाव लाती है, जो कि सीधे-सीधे धूप की अल्ट्रावायलेट (UV) किरणों से हुई क्षति का संकेत है।
क्या बेस टैन सनबर्न से बचाता है?
बिलकुल नहीं। डॉ. विना वंछिनाथन, कैलिफोर्निया की प्रमाणित त्वचा विशेषज्ञ, कहती हैं कि “टैनिंग से आपकी त्वचा को केवल SPF 2 से 4 का ही सुरक्षा स्तर मिलता है,” जबकि अमेरिकन एकेडमी ऑफ डर्मेटोलॉजी के अनुसार कम से कम SPF 30 जरूरी होता है।
यानि, बेस टैन की सुरक्षा बिल्कुल नाकाफी है और यह आपको सनबर्न से नहीं बचा सकता।
बेस टैन लेना क्यों है खतरनाक?
1. त्वचा कैंसर का जोखिम बढ़ता है
टैनिंग UV किरणों से आपकी त्वचा की कोशिकाओं के डीएनए को नुकसान पहुंचाती है। डॉ. हौशमंद कहती हैं, “पहली बार टैन करने से ही त्वचा में नुकसान शुरू हो जाता है।” समय के साथ यह क्षति बढ़ती है और त्वचा कैंसर का खतरा भी।
विशेष रूप से, टैनिंग बेड का उपयोग स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा का जोखिम 58% और बेसल सेल कार्सिनोमा का 24% तक बढ़ा सकता है।
2. समय से पहले त्वचा की उम्र बढ़ती है
डॉ. वंछिनाथन बताती हैं कि धूप के संपर्क से कोलेजन और इलास्टिन टूटने लगते हैं, जिससे त्वचा पर झुर्रियां, काले धब्बे और असमान रंग दिखने लगते हैं। इसे फोटोएजिंग कहा जाता है, जो कई सालों बाद उभरकर सामने आ सकती है।
3. इम्यून सिस्टम पर असर
UV किरणों के ज्यादा संपर्क से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता भी प्रभावित होती है। इससे वैक्सीन का असर घट सकता है, दवाओं पर प्रतिक्रिया हो सकती है और सूरज की किरणों के प्रति संवेदनशीलता बढ़ सकती है।
हालांकि सूरज की रोशनी से विटामिन D मिलता है, पर विशेषज्ञ मानते हैं कि यह तरीका सबसे सुरक्षित नहीं है। डॉ. वंछिनाथन कहती हैं, “विटामिन D के लिए फोर्टिफाइड फूड्स और सप्लिमेंट्स लेना बेहतर और सुरक्षित तरीका है।”
तो फिर क्या करें बेस टैन की जगह?
अगर आप धूप का मजा लेना चाहते हैं, तो कुछ सुरक्षित उपायों को अपनाना जरूरी है:
✅ रोज़ सनस्क्रीन लगाएं
कम से कम SPF 30 वाला ब्रॉड-स्पेक्ट्रम सनस्क्रीन UVA और UVB दोनों किरणों से सुरक्षा देता है।
✅ 10 बजे से 4 बजे के बीच धूप से बचें
यह समय UV किरणों के सबसे प्रबल होने का होता है। इस दौरान धूप में बाहर निकलने से बचें।
✅ UV-प्रोटेक्टिव कपड़े पहनें
हैट, सनग्लास और लंबी आस्तीन के कपड़े पहनें जिनमें UPF (Ultraviolet Protection Factor) रेटिंग हो।
✅ धूप से सुरक्षा देने वाले खाद्य पदार्थ खाएं
टमाटर, तरबूज जैसे लाइकोपीन युक्त फल और सब्ज़ियां कुछ हद तक त्वचा को UV से प्राकृतिक सुरक्षा प्रदान कर सकती हैं।
संक्षेप में: टैनिंग का कोई ‘सुरक्षित’ तरीका नहीं
बेस टैन, चाहे हल्का हो या गहरा, त्वचा के लिए नुकसानदेह ही होता है। यह न तो सनबर्न से बचाता है और न ही त्वचा को मजबूत बनाता है। उल्टा, यह त्वचा कैंसर, उम्र बढ़ने और प्रतिरक्षा प्रणाली की कमजोरी जैसी समस्याएं पैदा कर सकता है।
इसलिए अगली बार जब आप वेकेशन की तैयारी करें, तो बेस टैन को छोड़कर सही सुरक्षा उपाय अपनाएं—सनस्क्रीन, सुरक्षित समय पर धूप में निकलना, UV-कपड़े पहनना और हेल्दी डाइट लेना। यकीन मानिए, इससे आप न केवल सुंदर दिखेंगे, बल्कि आपकी त्वचा सालों तक स्वस्थ भी रहेगी।
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